top of page
Search

हनुमान चालीसा मैनेजमेंट शिक्षा की बुनियाद है, राष्ट्रपुत्र आज़ाद

  • Writer: aazaadfederation
    aazaadfederation
  • Nov 17, 2019
  • 4 min read

ree

संस्कृत पुनरूत्थान के महानायक आज़ाद ने कहा कि अजर अमर हनुमान करोड़ों सनातनियों के आराध्य है, उन करोड़ों लोगों की तरह मेरी भी दिनचर्या हनुमान चालीसा पढ़ने से शुरू होती है।उन्होंने सम्मेलन में कहा कि श्री हनुमान चालीसा में 40 चौपाइयां हैं, जो मात्र चौपाइयां नहीं है पूरा जीवन क्रम है, जो हर युग में इंसानों का मार्गदर्शन करती हैं. और इसे तुलसीदास जी ने उस क्रम में लिखा हैं जो एक आम आदमी की जिंदगी का क्रम होता है।


गोस्वामी तुलसीदास नेगोस्वामी तुलसीदास ने हनुमान चालीसा की रचना रामचरितमानस से पूर्व किया था। हनुमान को गुरु बनाकर उन्होंने राम को पाने की शुरुआत की।


हनुमान चालीसा आपको दिशा देती है, अगर आप इसकी चौपाई में छिपे सूत्र और अर्थ को समझ लें तो जीवन के हर क्षेत्र में सफल हो सकतें हैं।


हनुमान चालीसा सनातन परंपरा में लिखी गई पहली चालीसा है शेष सभी चालीसाएं इसके बाद ही लिखी गई।


हनुमान चालीसा में शुरुआत से अंत तक सफलता के कई सूत्र हैं। आइए जानते हैं हनुमान चालीसा से हम अपने जीवन में क्या-क्या बदलाव ला सकते हैं….


महानायक आज़ाद हर की पौड़ी हरिद्वार में
महानायक आज़ाद हर की पौड़ी हरिद्वार में

शुरुआत गुरु से…


हनुमान चालीसा की शुरुआत गुरु से हुई है…


श्रीगुरु चरन सरोज रज,

निज मनु मुकुरु सुधारि।


अर्थ - अपने गुरु के चरणों की धूल से अपने मन के दर्पण को साफ करता हूं।


गुरु का महत्व चालीसा की पहले दोहे की पहली लाइन में लिखा गया है। जीवन में गुरु यानी मार्ग दर्शक नहीं है तो आपको कोई आगे नहीं बढ़ा सकता। हमारे श्रेष्ठ ही हमें सही रास्ता दिखा सकते हैं।


इसलिए तुलसीदास ने लिखा है कि गुरु के चरणों की धूल से मन के दर्पण को साफ करें!! आज के दौर में गुरु हमारा मेंटोर भी हो सकता है, बॉस भी। वैसे भी जीवन के पहले गुरू माता-पिता होतें हैं.


 महानायक आज़ाद हर की पौड़ी हरिद्वार में
महानायक आज़ाद हर की पौड़ी हरिद्वार में

ड्रेसअप का रखें ख्याल…


कंचन बरन बिराज सुबेसा,

कानन कुंडल कुंचित केसा।


अर्थ - आपके शरीर का रंग सोने की तरह चमकीला है, सुवेष यानी अच्छे वस्त्र पहने हैं, कानों में कुंडल हैं और बाल संवरे हुए हैं।


आज के दौर में आपकी तरक्की इस बात पर भी निर्भर करती है कि आप रहते और दिखते कैसे हैं। फर्स्ट इंप्रेशन अच्छा होना चाहिए।


अगर आप बहुत गुणवान भी हैं लेकिन अच्छे से नहीं रहते हैं तो ये बात आपके करियर को प्रभावित कर सकती है। इसलिए, रहन-सहन और ड्रेसअप हमेशा अच्छा रखें।


आगे पढ़ें - हनुमान चालीसा में छिपे मैनेजमेंट के सूत्र...


सिर्फ डिग्री काम नहीं आती-


बिद्यावान गुनी अति चातुर,

राम काज करिबे को आतुर।


अर्थ - आप विद्यावान हैं, गुणों की खान हैं, चतुर भी हैं। राम के काम करने के लिए सदैव आतुर रहते हैं।

आज के दौर में एक अच्छी डिग्री होना बहुत जरूरी है। लेकिन चालीसा कहती है सिर्फ डिग्री होने से आप सफल नहीं होंगे। विद्या हासिल करने के साथ आपको अपने गुणों को भी बढ़ाना पड़ेगा, बुद्धि में चतुराई भी लानी होगी। हनुमान में तीनों गुण हैं, वे सूर्य के शिष्य हैं, गुणी भी हैं और चतुर भी।


 महानायक आज़ाद हर की पौड़ी हरिद्वार में
महानायक आज़ाद हर की पौड़ी हरिद्वार में

अच्छा लिसनर बनें-


प्रभु चरित सुनिबे को रसिया,

राम लखन सीता मन बसिया।


अर्थ-आप राम चरित यानी राम की कथा सुनने में रसिक है, राम, लक्ष्मण और सीता तीनों ही आपके मन में वास करते हैं।

जो आपकी प्रायोरिटी है, जो आपका काम है, उसे लेकर सिर्फ बोलने में नहीं, सुनने में भी आपको रस आना चाहिए।


अच्छा श्रोता होना बहुत जरूरी है। अगर आपके पास सुनने की कला नहीं है तो आप कभी अच्छे लीडर नहीं बन सकते।


  महानायक आज़ाद हर की पौड़ी हरिद्वार में
महानायक आज़ाद हर की पौड़ी हरिद्वार में

कहां, कैसे व्यवहार करना है ये ज्ञान जरूरी है-


सूक्ष्म रुप धरि सियहिं दिखावा,

बिकट रुप धरि लंक जरावा।


अर्थ - आपने अशोक वाटिका में सीता को अपने छोटे रुप में दर्शन दिए। और लंका जलाते समय आपने बड़ा स्वरुप धारण किया।


कब, कहां, किस परिस्थिति में खुद का व्यवहार कैसा रखना है, ये कला हनुमानजी से सीखी जा सकती है।

सीता से जब अशोक वाटिका में मिले तो उनके सामने छोटे वानर के आकार में मिले, वहीं जब लंका जलाई तो पर्वताकार रुप धर लिया।


अक्सर लोग ये ही तय नहीं कर पाते हैं कि उन्हें कब किसके सामने कैसा दिखना है।


अच्छे सलाहकार बनें-


तुम्हरो मंत्र विभीषण माना,

लंकेश्वर भए सब जग जाना।


अर्थ - विभीषण ने आपकी सलाह मानी, वे लंका के राजा बने ये सारी दुनिया जानती है।


हनुमान सीता की खोज में लंका गए तो वहां विभीषण से मिले। विभीषण को राम भक्त के रुप में देख कर उन्हें राम से मिलने की सलाह दे दी।


विभीषण ने भी उस सलाह को माना और रावण के मरने के बाद वे राम द्वारा लंका के राजा बनाए गए। किसको, कहां, क्या सलाह देनी चाहिए, इसकी समझ बहुत आवश्यक है। सही समय पर सही इंसान को दी गई सलाह सिर्फ उसका ही फायदा नहीं करती, आपको भी कहीं ना कहीं फायदा पहुंचाती है।


आत्मविश्वास की कमी ना हो-


प्रभु मुद्रिका मेलि मुख माही,

जलधि लांघि गए अचरज नाहीं।


अर्थ-राम नाम की अंगुठी अपने मुख में रखकर आपने समुद्र को लांघ लिया, इसमें कोई अचरज नहीं है।


अगर आपको अपने आप पर और अपने आराध्य पर पूरा भरोसा है तो आप कोई भी मुश्किल से मुश्किल टॉस्क को आसानी से पूरा कर सकते हैं।


प्रतिस्पर्धा के दौर में आत्मविश्वास की कमी होना खतरनाक है। अपन आप पर पूरा भरोसा रखे.





ree


 
 
 

Comments


  • Facebook
  • Instagram

© AAZAAD FEDERATION

bottom of page